रोहांसी/ कसडोल/ बलौदाबाजार- धान खरीदी केंद्र के लिए नहीं मिली जमीन, मगर जंगल के चपरासी के रिश्तेदार बना रहे पक्का मकान,,,वन मंत्री से शिकायत,,,लेकिन वन रक्षक के ऊपर कार्यवाही कचरे के डिब्बे में,,,,तत्कालीन डीएफओ मयंक अग्रवाल ने दिए थे मामले की जांच के आदेश,,,,,अब वन रक्षक बना वन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष,,,,,,,

रोहांसी/ कसडोल/ बलौदाबाजार- 

धान खरीदी केंद्र के लिए नहीं मिली जमीन, मगर जंगल के चपरासी के रिश्तेदार बना रहे पक्का मकान,,,वन मंत्री से शिकायत,,,लेकिन वन रक्षक के ऊपर कार्यवाही कचरे के डिब्बे में,,,,तत्कालीन डीएफओ मयंक अग्रवाल ने दिए थे मामले की जांच के आदेश,,,,,अब वन रक्षक बना वन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष,,,,,,,

पूरा मामला बलौदाबाजार वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले धाराशिव अस्थाई रोपणी क्षेत्र में वन भूमि पर अतिक्रमण का है । आश्चर्यजनक रूप से इस अवैध गतिविधि को संरक्षण देने वाले अधिकारी स्वयं उस क्षेत्र के पदस्थ वनरक्षक मनबोधन टंडन बताए जा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि मनबोधन टंडन ने वनभूमि पर निजी मकान निर्माण के लिए अपने व्यक्तिगत संबंध वाले व्यक्तियों को संरक्षण दिया और बदले में भारी राशि ली। वन विभाग जैसे संवेदनशील और कानून आधारित तंत्र में यह एक गंभीर अनियमितता और सार्वजनिक धोखा है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, वनरक्षक टंडन ने धाराशिव जंगल में कार्यरत चपरासी संतोष यादव के रिश्तेदारों को वन भूमि पर पक्के मकान निर्माण की अनुमति दी। यह अनुमति न तो किसी कानूनी प्रक्रिया से प्राप्त की गई और न ही विभागीय मंजूरी से जुड़ी है। बल्कि यह कमीशन के बदले संरक्षण का एक क्लासिक उदाहरण माना जा रहा है। ग्रामीणों ने दावा किया कि मनबोधन टंडन ने संबंधित परिवार से लाखों रुपये की रिश्वत ली और उन्हें वन भूमि पर खुलेआम निर्माण कार्य करने दिया। इस दौरान किसी भी प्रकार की कानूनी आपत्ति या विभागीय कार्यवाही नहीं की गई, जो स्वयं में दर्शाता है कि अधिकारी की मंशा साफतौर पर संदेहास्पद है।

 *धान खरीदी केंद्र के शासकीय कार्य में अड़ंगा, लेकिन निजी निर्माण पर चुप्पी* 

इस प्रकरण की सबसे विरोधाभासी और गंभीर बात यह है कि इसी वनरक्षक ने धाराशिव क्षेत्र में खुल रहे नए धान खरीदी केंद्र को भूमि देने का विरोध किया था।परिणामस्वरूप, बीते दो वर्षों से किसानों के लिए अत्यंत जरूरी इस केंद्र के निर्माण कार्य  जैसे कार्यालय भवन, चबूतरा, शेड, अहाता आदि  लंबित पड़े हुए हैं।  यह केंद्र ग्रामीण किसानों की उपज को सुविधा एवं सरलतापूर्वक बेचने के लिए अत्यंत आवश्यक था, परन्तु वनरक्षक की अनुमति नही मिली। वहीं दूसरी ओर, उसी भूमि पर निजी पक्के मकान बनते देखे जा सकते हैं, जिस पर  वनरक्षक मनबोधन टंडन पर भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी का गंभीर आरोप लगे है । 

 *ग्रामीणों ने की थी वन मंत्री से शिकायत* 

इस पूरे मामले से क्षुब्ध होकर स्थानीय ग्रामीणों ने छत्तीसगढ़ राज्य के वन मंत्री  केदार कश्यप को विस्तृत शिकायत पत्र सौंपा था । शिकायत में *ग्रामीणों ने वनरक्षक मनबोधन टंडन पर निम्नलिखित बिंदुओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं-रिश्वत लेकर वन भूमि पर मकान बनाने की अनुमति देना, विभागीय चपरासी के रिश्तेदारों को प्राथमिकता देना, शासकीय कार्यों में अड़ंगा लगाना, पद का दुरुपयोग कर मनमानी और दबावपूर्वक कार्य कराना, वन भूमि की रक्षा करने की जिम्मेदारी को व्यक्तिगत लाभ के लिए दरकिनार करना* 

इस पूरे मामले में जांच समिति धाराशिव पहुंची, आरोप भी सत्य पाए गए  । शिकायत मिलने के बाद वन विभाग की ओर से एक उच्च स्तरीय जांच समिति को मौके पर भेजा गया। जांच के दौरान ग्रामीणों के आरोपों की पुष्टि हुई।  धाराशिव वन क्षेत्र का यह प्रकरण वन विभाग की कार्यप्रणाली, उसकी पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगाता है। यदि एक वनरक्षक खुलकर पैसे लेकर वन भूमि को निजी निर्माण के लिए उपलब्ध करा रहा है और विभाग उसे बचाने में लगा है, तो यह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संस्थागत विफलता का संकेत है। शिकायत कर्ताओं एवं ग्रामीणों की मांग कि
आरोपी वनरक्षक मनबोधन टंडन को तत्काल निलंबित किया जाए, अवैध निर्माण को तुरंत रोका जाए और उसे ध्वस्त किया जाए वन भूमि को पुनः सुरक्षित कर विभागीय उपयोग में लाया जाए. जांच समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की भी भूमिका की जांच हो।

जांच अधिकारी तत्कालीन उपवन मंडल अधिकारी बलौदाबाजार गोविंद सिंह ने जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर वन रक्षक मनबोधन टंडन को 2 बार नोटिस भेजा था जिसका जवाब आज तक नही मिला और न ही किसी प्रकार की कार्यवाही हुई । ग्रामीणों ने वन मंडल अधिकारी बलौदाबाजार धम्मशील गणवीर से उक्त वन रक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है ।

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