कसडोल / संतोष साहू- आजादी के 76 साल बाद भी वनवासियों के नसीब में बिजली नही ,,,,टी वी, पंखा,मोबाइल, लेपटॉप से कोसो दूर,,,,भीषण गर्मी में पेड़ो की छांव ही आशियाना,,,वनांचल बारनवापारा क्षेत्र के वनवासियों का पीड़ा,,,,नेताओ से अभी तक केवल आश्वासन,,,,,

कसडोल / संतोष साहू- आजादी के 76 साल बाद भी वनवासियों के नसीब में बिजली नही ,,,,टी वी, पंखा,मोबाइल, लेपटॉप से कोसो दूर,,,,भीषण गर्मी में पेड़ो की छांव ही आशियाना,,,वनांचल बारनवापारा क्षेत्र के वनवासियों का पीड़ा,,,,नेताओ से अभी तक केवल आश्वासन,,,,,
  
         आजादी के इतने साल भी बारनवापारा वनांचल क्षेत्र को आज तक बिजली की सुविधा नही मिल सका ।ये वनांचल वासियों के दुर्भाग्य है या  क्षेत्र जनप्रतिनिधियों का नजरअंदाज इसे जो भी कहे पर आज इस क्षेत्र में जीवन जो जी रहे उसके जीवन को आप और हम 20 वर्ष पीछे देख सकते है ।   इस भीषण गर्मी के मौसम में जहाँ एक घण्टा बिजली गुल हो जाये तो इंसान कितना बेचैन हो जाता है लेकिन हमारे यहाँ बिजली नाम के शब्द क्या है किसी को पता नही । क्षेत्र के लोगो को कूलर फ्रिज क्या है पता नही ।रेफ्रिजरेटर क्या है पता नही।कम्प्यूटर क्या है बच्चों ने देखा नही ।किसी बच्चे या बूढ़े को अगर इस भीषण गर्मी में बीमार आ जाय तो पंखे  किसे कहते है पता नही वही पुराने रद्दी के पेपर से हवा देकर बीमार व्यक्ति को थोड़ी राहत दिया जाता है ।

वनांचल क्षेत्र के राजकुमार दीवान सरपंच रवान ,अमर्ध्वज यादव सरपंच ढेबी ,अनिरुद्ध दीवान सरपंच ,सम्पत ठाकुर बार ,खेम सिंग ठाकुर जनपद सदस्य, रामचरण यादव उपाध्यक्ष जनपद पंचायत कसडोल, दिनेश ठाकुर पूर्व जनपद सदस्य, नित्यानंद पटेल, प्रवीण साहू, टिकेश्वर ठाकुर, मनोज यादव, राजेश, नागेश दीवान आदि ग्रामीणों ने बताया कि
बीमार बच्चे बूढ़े तो दूर की बात है आज के दौर के भीषण गर्मी में सभी का हालत खराब है पर क्या करें और कर भी क्या सकते है ।जब से होश संभाले है कई सरकार देखे लोकसभा देखे विधानसभा देखे सभी का वही आश्वाशन की चुनाव के बाद वनांचल क्षेत्र में बिजली आ जायेगा । जैसे चुनाव के बाद पेट्रोल डीजल के रेट बढ़ते है वैसे ही हम लोगो की बिजली के प्रति उम्मीद बढ़ती जाती है ।लेकिन उम्मीद पर 5 साल के लिए पानी फिर जाता है। आज की इस डिजिटल जमाने मे शहरी क्षेत्र के बच्चे बिजली गुल होना क्या होता है मालूम तक नही होता लेकिन यहाँ जस्ट उल्टा होता है । ग्रामीणों का कहना है कि हमे पता है कि हम वन क्षेत्र में बसे है हमे बिजली सड़क का हक नही है ,हमारे भी बच्चे पढ़ लिख कर आगे बढ़े ये हमारे हक से दूर है हमारे बच्चे कम्प्यूटर को जान सके ये हमारे हक में नही है ।हम तो इस्तेमाल होना जानते है ।कोई भी चुनाव आये लोकसभा या विधानसभा हम इस्तेमाल होते है ।खैर हमारे छोटे से क्षेत्र को इस्तेमाल भी न करे तो भी किसी को कोई फर्क नही पड़ता ।क्षेत्र के युवा प्रदीप प्रधान ने बताया कि आज के इस डिजिटल युग मे शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जिसके हाथ मे मोबाईल नही होगा ।हमारे भी क्षेत्र के लोगो के हाथ मे मोबाइल चलाने का शौक है पर क्या करे मेहनत करके मोबाइल तो खरीद सकते हैं पर बिना नेट बिना बिजली को मोबाइल से हम और मोबाइल हमसे सर्फ गेम खेलता रहता है ।जिस तरह बच्चे के रोने के बाद उसके परिवार वाले से झुनझुना पकड़ा देते है वैसे हम लोगो को सोलर सिस्टम का झुनझुना पकड़ा दिये है ।जो सर्फ रात में आधा घण्टा जल गया हो तो बहुत है कही कही तो चालू ही नही होता है फिर गांव वाले आपस मे झगड़ते है कि तेरे घर के लोग tv देख लिये तो चार्ज खतम हो गया ।भाई हमारे बच्चे को टेलीविजन देखने का नशीब भी नही । आजकल और गम्भीर बाते सामने आ रही है कि इधर के लड़कों को रिश्ते ढूंढने भी भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है ।ये इसलिए कि इधर न बिजली है न नेट है न सड़क है तो कोई बाप अपनी बेटी इस जंगल मे क्यो भेजे ।कोई यहाँ एक घण्टा रुकना पसन्द नही करता तो जीवन कैसे कटेगा ।रही बात पर्यटक की तो पर्यटक को एक दिन घूम के जाना है उनके लिये तो एयरकंडीशनर है न ,तो उन लोगो को ये जगह खूबसूरत लगता है उन्ही को 1 महीने रुकने बोलेंगे तो हाथ मे आ जायेगा ।
मेरा ये पोस्ट किसी के दिल के दुख पहुँचाने के लिये नहीं है । मेरा ये पोस्ट हम वनांचल क्षेत्र के लोगो के दर्द का अहसास है जो शब्दो मे निकल गया ।अगर कोई इसे महसुस करते हुए पढ़ेगा तो मेरा यकीन है उसका आंसू निकल जायेगा । हम जीवन, जीवन नही एक अभिशाप है ।।


 

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