कसडोल : संतोष साहू । "बकरे की बली मुझे बदनाम करने की कोशिश,",,,कलयुग के तीसरे चरण तक रहूंगी,,,,तुरतुरिया मातागढ़ में काली मां ने दिया पुजारी को आदेश,,,,,पढ़िए पुजारी दिव्यानंद नेताम की आपबीती,,,,,,कुछ अनकही कहानी
कसडोल: संतोष साहू । मातागढ़ तुरतुरिया में बीतीरात एक अजीबो- गरीब घटना घटी है । पुजारी के माने तो घटना बड़ी भयावह है । पुजारी दिव्यानंद नेताम ने बताया कि मैं गहरी नींद में सो रहा था कि बीती रात 1 बजकर 20 मिनट में
मेरे कानों में बादल गर्जने कि आवाज आई और में झट से जाग उठा, तब मुझे बाहर पहाड़ी में पानी गिरने कि आवाज सुनाई दी । तब मैं कमरे से बाहर निकला । बाहर देखा तो बारिस भी नही हो रही थी मुझे समझ ही नही आया । तभी मातागढ़ मंदिर कि ओर से एक सफेद सी चमकते हुए एक चक्र दिखाई देने लगा । मैं डर के मारे कांपने लगा । तब मैंने" ॐ क्री मातागढ़ दाई" का जाप करने लगा । तब तक वही सफेद चक्र मेरे एकदम नजदीक आ गये। तत्पश्चात उस चक्र से एक बुढी माँ सफेद साड़ी पहने हुये चक्र में दिखाई देने लगे । फिर मुझे ओ बोली कि डरो मत बेटा में आपको कुछ संकेत बताने आयी हु उसे ध्यान से सुनो और उसका पालन करो।
मातागढ़ दाई ने बोला कि मैं कलयुग के तीसरे चरण तक रहूंगी। चौथे चरण लगने पर मैं अपनी लोक को चली जाऊंगी। जो भी मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे है, वे कभी सुख से नही रहेंगे। बार-बार मुझे और मेरे सनातन धर्म को ठेस पहुंचा रहे है । मैं ही सनातन हुँ, सनातन को बदनाम करने वाले को कुछ दिन बाद पता चलेगा, कि में कौन हूँ। मेरे नाम से जो बकरे का बलि देता है ओ कभी सुख से नहीं रहेंगे। मैं कभी भी बकरे का बलि नहीं ली है ना स्वीकार किया है, केवल संतान सुख देने वाली हू । साथ ही सभी लोगो की मन्नतों को पुरी करने नाली हुँ । तो फिर भी लोग मुझे बकरे की बलि क्यो दे रहे है ? बूढ़ी मां ने कहा कि मैं किसी भी लोगो से कुछ नही माँग रही हूं । तब भी मुझे लोग बदनाम कर रहे हैं। यदि यकीन न हो रहा हो तो अथर्ववेद भाग- 1 के सप्तम काण्ड में देख लो मैं विख्यात हुँ । बेटे आप जनकल्याण के लिए आहुति देते रहना । मगर कोई भी कुछ बोले तो चुप रहना मैं देख लुंगी । इतना कहकर मातारानी अंतर्ध्यान हो गई।
मातागढ़ मंदिर तुरतुरिया
पुजारी
दिव्यानंद नेताम
2 टिप्पणियाँ
Yaha to Bali bahut dino se chali aa rahi hai
जवाब देंहटाएंयही बात है तो बली पुरी तरह से बंद किया जाय
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